दो-दो मंत्रियों के गांव नारा की बदहाली, गंदे पानी में होकर स्कूल जाने को मजबूर बच्चे

SHARE

पानीपत  : ये उस हल्के के गांव की तस्वीर है, जिस हल्के का पंचायत मंत्री है। ये उस गांव की तस्वीर है, जिसके पड़ोसी गांव कवि से हरियाणा के शिक्षा मंत्री आते हैं। ये तस्वीर पानीपत जिले के गांव नारा की है, एक ऐसा गांव, जहां से पंचायत मंत्री कृष्ण लाल पंवार का आवास महज 5 किलोमीटर की दूरी पर है, और शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा का पैतृक गांव कवि भी सिर्फ 5 किलोमीटर दूर है। यानी, एक ही जिले में दो-दो मंत्री होने के बावजूद गांव नारा की स्थिति शर्मनाक है।

गांव नारा के मुख्य रास्ते पर 3-3 फीट तक गंदा पानी भरा हुआ है, जिससे होकर सैकड़ों छात्र सरकारी स्कूल तक पहुंचते हैं। रोजाना बच्चे इस गंदे पानी से गुजरते हैं, कई बार फिसलकर गिर जाते हैं, जिससे उनकी यूनिफॉर्म, किताबें भीग जाती हैं और चोट भी लग जाती है। अध्यापकों को भी इसी रास्ते से होकर स्कूल पहुंचना पड़ता है। इतना ही नहीं, यह गंदा पानी गांव के ऐतिहासिक दादी सती मंदिर के मुख्य गेट तक पहुंच चुका है। वहीं, स्कूल के ठीक सामने स्थित गांव का जोहड़ गंदगी से भरा हुआ है। जोहड़ की सफाई ना होने के कारण उसमें जलकुंभी उग आई है, जिससे जहरीले सांप और अन्य जीव-जंतु निकलते रहते हैं।

छात्रों और अध्यापकों ने बताया कि बीते दिनों एक छात्र को रास्ता पार करते समय सांप ने काट लिया। वहीं, एक अन्य छात्र के ऊपर सांप लिपट गया था। जोहड़ की स्थिति ऐसी है कि बीमारी फैलने का खतरा बना हुआ है। ग्रामीणों ने बताया कि इसी जोहड़ से अब तक कई डेड बॉडी भी बरामद हो चुकी हैं।

छात्र-छात्राओं की आपबीती

छात्रा परी ने बताया कि वह पड़ोसी गांव जोशी से पढ़ने के लिए नारा गांव के सरकारी स्कूल में आती हैं, लेकिन स्कूल के मुख्य रास्ते पर भरा गंदा पानी उन्हें काफी परेशानी देता है। उन्होंने शिक्षा विभाग और सरपंच से तुरंत सुधार की मांग की है। परी ने कहा कि इस गंदे पानी से उनकी यूनिफॉर्म, जूते और किताबें सब खराब हो जाते हैं।

छात्र अक्षर ने बताया कि मुख्य रास्ते में भरे पानी के कारण उन्हें स्कूल आने-जाने में भारी दिक्कत होती है। उन्होंने बताया कि जोशी गांव से आने वाले सैकड़ों छात्र रोजाना इसमें गिरते हैं। हाल ही में एक छात्र के ऊपर सांप लिपट गया था। उन्होंने बताया कि स्कूल जाने का वैकल्पिक रास्ता काफी लंबा है, जिससे देर हो जाती है।

शिक्षकों की गुहार

स्कूल के अध्यापक वीरेंद्र ने बताया कि जोशी और माजरा से आने वाले सैकड़ों बच्चे इसी रास्ते से स्कूल आते हैं, लेकिन पिछले एक हफ्ते से रास्ता जलमग्न है। उन्होंने बताया कि इस समस्या को स्थानीय प्रशासन और ग्राम पंचायत के सामने कई बार रखा गया, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि गंदे पानी में बच्चे गिर जाते हैं, जिससे उनकी किताबें और यूनिफॉर्म खराब हो जाती हैं। पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा है।

सरकार के दावों की पोल खोलती तस्वीर

गौरतलब है कि हरियाणा के शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने बीते दिनों दावा किया था कि “हरियाणा के सरकारी स्कूल किसी भी प्राइवेट स्कूल से कम नहीं हैं।” लेकिन नारा गांव का सरकारी स्कूल और उसका रास्ता सरकार के इस दावे को कटघरे में खड़ा करता है। यह स्थिति न सिर्फ शिक्षा विभाग बल्कि जिले के दो-दो मंत्रियों की जवाबदेही पर सवाल खड़े करती है।

गांववालों को अब भी सिर्फ आश्वासन

ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार पंचायत मंत्री से मुलाकात कर गंदे जोहड़ की सफाई और रास्ते की मरम्मत की मांग की, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिला, कोई ठोस कार्रवाई आज तक नहीं की गई।