शो के माध्यम से गुरु गोबिंद सिंह के चार साहिबजादों की वीरगाथा को बच्चों और युवा पीढ़ी के समक्ष जीवंत रूप में प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. निर्मल दहिया ने किया।
शो में अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह की शहादत की घटनाओं को कला के माध्यम से दिखाया गया। 40 मिनट के इस कार्यक्रम में मुगल शासकों के अत्याचार, आनंदपुर साहिब से गुरु परिवार का पलायन, सरसा नदी पर संघर्ष और साहिबजादों की गिरफ्तारी की घटनाओं को दर्शाया गया। दर्शकों को यह भी दिखाया गया कि कैसे वजीर खां के सामने बिना किसी भय के छोटे साहिबजादों ने “जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल” का जयकारा लगाया।
कार्यक्रम में दर्शाया गया कि 27 दिसंबर 1704 को साहिबजादों को दीवार में चिनवाया गया, जबकि माता गुजरी ने अपने प्राण त्याग दिए। इस माध्यम से बच्चों को साहस, त्याग और इतिहास की जीवंत जानकारी प्रदान की गई। सैंड ऑफ आर्ट शो के अलावा स्कूल प्रांगण में बीयर बाल दिवस के उपलक्ष्य में निबंध लेखन प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। डॉ. निर्मल दहिया ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम बच्चों का ज्ञानवर्धन करते हैं और उन्हें अपने इतिहास और सांस्कृतिक विरासत के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि युवाओं को हमेशा अपने लक्ष्य का निर्धारण कर आगे बढ़ना चाहिए।