मोदी सरकार जब से सत्ता में आई है, तब से ही उसका फोकस देश के अन्नदाता पर रहा है. सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य भी रखा है. इसी क्रम में सरकार ने कई कदम भी उठाए हैं. वहीं गरीब किसानों को सरकार ‘किसान सम्मान निधि योजना’ की मदद से आर्थिक सहायता भी उपलब्ध कराती है. अब सरकार ने 10,000 एफपीओ (फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन) बनाने का टाारगेट भी पूरा कर लिया है. आखिर कैसे सरकार की ये योजना देश के किसानों को अमीर बना रही है.
सरकार ने शुक्रवार को जानकारी दी कि देश में 10,000 एफपीओ बनाने का काम पूरा हो चुका है. सरकार ने इस काम को 20 फरवरी 2020 को शुरू किया था और अब करीब 5 साल में इस लक्ष्य को पूरा कर लिया गया है. एफपीओ के गठन और उन्हें प्रमोट करने के लिए केंद्र सरकार ने एक योजना शुरू की थी. इसका बजट वित्त वर्ष 2027-28 तक के लिए 6,865 करोड़ रुपये है.
ये काम करता है 10,000 वां FPO
सरकार ने शुक्रवार को जानकारी दी कि देश में 10,000वां एफपीओ बिहार के खगड़िया जिले में रजिस्टर हुआ है. ये मक्का, केला और धान को लेकर काम करेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में ही इसका उद्घाटन किया है. कृषि मंत्रालय का कहना है कि देश के एग्रीकल्चर सेक्टर के लिए 10,000 एफपीओ का सफलतापूर्वक गठन होना ‘एक मील का पत्थर है. ये देश में एग्रीकल्चर प्रोडक्शन और किसानों की आय को बढ़ाने का काम करता है. वहीं ये ग्रामीण स्तर पर एंप्लॉयमेंट जेनरेशन का भी काम करता है.
एफपीओ के लिए योजना शुरू होने के बाद से सरकार ने 4,761 एफपीओ को 254.4 करोड़ रुपये का इक्विटी अनुदान जारी किया गया है. साथ ही 1,900 एफपीओ को 453 करोड़ रुपये का क्रेडिट गारंटी कवर जारी किया है. देश में करीब 30 लाख किसान एफपीओ से जुड़े हैं. इसमें लगभग 40 प्रतिशत महिलाएं हैं. ये एफपीओ अब कृषि क्षेत्र में हजारों करोड़ रुपये का कारोबार कर रहे हैं.
क्यों कहलाते हैं किसानों के स्टार्टअप?
एफपीओ को अगर आप आज के जमाने की भाषा में किसानों का ‘खुद का स्टार्टअप’ कहें, तो कोई गलत बात नहीं होगी. ये भारत के सफल को-ऑपरेटिव सिस्टम का एक नया उदाहरण है. एफपीओ के तहत किसान आपस में एक ग्रुप बनाकर अपनी उपज या स्थानीय उपज से खुद ही उत्पाद तैयार करते हैं. इसके लिए सरकार उन्हें इक्विटी सहायता और कर्ज दोनों उपलब्ध कराती है. वहीं उनके उत्पादों के लिए बाजार उपलब्ध कराने में भी सरकार मदद करती है.