पंचकूला: हरियाणा में ग्रुप-सी के लिए सामान्य पात्रता परीक्षा (सीईटी) के बाद रिजल्ट में नॉर्मलाइजेशन फार्मूला लागू करने के खिलाफ दायर याचिका को पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है. हाई कोर्ट के जस्टिस संदीप मोदगिल की कोर्ट ने, मंगलवार को पहली सुनवाई पर ही इस याचिका को खारिज कर दिया. इस मामले में रोहतक निवासी पवन कुमार ने हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (एचएसएससी) के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी.
मामले के निपटान से उम्मीदवारों को राहत:
दरअसल, हरियाणा में ग्रुप-सी के पदों के लिए बीती 26-27 जुलाई को हुई सीईटी परीक्षा के बाद अब एचएसएससी जल्द करेक्शन पोर्टल खोलेगा. इससे पहले आयोग चेयरमैन ने बताया था कि इस बार परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन फार्मूला लागू होगा. इसके चारों शिफ्ट में हुए पेपर की कठिनाई के आधार पर अंक बराबर किए जाने की बात कही. याची ने इस आधार पर ही इसे नियमों के खिलाफ जानकर मामले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. हालांकि, हाई कोर्ट के आदेश से अब एचएसएससी समेत सीईटी के परिणाम का इंतजार कर रहे उम्मीदवारों को बड़ी राहत मिली है.
चेयरमैन ने सोशल अकाउंट पर लिखा:
हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एचएसएससी) के चेयरमैन हिम्मत सिंह ने हाई कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हुए अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया को वैध एवं न्यायसंगत बताया है. उन्होंने लिखा “विगत कुछ दिन पहले अभ्यर्थियों ने नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया को लेकर माननीय उच्च न्यायालय में CWP-25398-2025 के माध्यम से याचिका दायर की थी.
इस याचिका को उच्च न्यायालय ने आज खारिज कर दिया है. इससे यह स्पष्ट हो गया है कि नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया वैध एवं न्यायसंगत है. उन्होंने यह भी लिखा कि इस मामले में कुछ लोग (जो कि खुद वकील नहीं है) ने अपने फायदे के लिए अभ्यर्थियों से लाखों की रकम इकट्ठा की है, जिससे अभ्यर्थियों को नुकसान हुआ है.” उन्होंने आगे ऐसे लोगों से सतर्क रहने बारे लिखा है.
इन कारणों से हो रहा नॉर्मलाइजेशन का विरोध:
हरियाणा ने सीईटी नॉर्मलाइजेशन फार्मूले के विरोध का कारण अंकों में भेदभाव होना माना जा रहा है. उम्मीदवारों के अनुसार इससे परीक्षा में शामिल छात्रों के साथ अन्याय हो सकता है. अभ्यर्थियों के अनुसार अलग-अलग शिफ्टों में हुए पेपर के कठिनाई स्तर में अंतर के कारण नॉर्मलाइजेशन से छात्रों को मिलने वाले अंकों में फेरबदल हो जाता है, क्योंकि कुछ के अंक बढ़ जाते हैं तो कुछ कुछ के घट जाते हैं. इसी कारण उम्मीदवारों ने फैसले के खिलाफ पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी.