IVF से दूसरा बच्चा चाहने वालों को अब करना होगा ये जरूरी काम, नहीं तो होगी दिक्कत

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चंडीगढ़: प्रदेश में अब एक या दो बच्चों वाले दंपतियों को आईवीएफ के माध्यम से और बच्चा चाहने पर पहले जिला समुचित प्राधिकारी से अनुमति लेनी होगी। जिला समुचित प्राधिकरण में जिला उपायुक्त व सीएमओ शामिल होते हैं। यह निर्णय लिंगानुपात में सुधार के लिए गठित्त राज्य टास्क फोर्स (एसटीएफ) की बैठक में लिया गया है। स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि लिंगानुपात में सुधार के लिए आईवीएफ केंद्रों पर सख्ती जरूरी है।

अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि अवैध गर्भपात के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं। इसमें संलिप्त डॉक्टरों का लाइसेंस रद्द कर कठोर दंडात्मक कदम उठाए जाएं। ऐसे ही एक मामले में अवैध गर्भपात के आरोप में नूंह के दो नर्सिंग होम को सील किया गया है।

वहीं सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (सीएमओ) को अवैध गर्भपात गतिविधियों में लिप्त बीएएमएस डॉक्टरों व झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने और हर हफ्ते एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।

रिवर्स ट्रैकिंग के लिए व्यापक प्रक्रिया पहले ही सभी सीएमओ के साथ साझा की जा चुकी है। बैठक में बताया गया कि अवैध मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) केंद्रों पर कड़ी कार्रवाई की वजह से लगभग 500 ऐसे केंद्र बंद कर दिए गए हैं। वहीं, हरियाणा का लिंगानुपात इस वर्ष 7 जुलाई तक सुधरकर 904 हो गया जो पिछले वर्ष इसी अवधि में 903 था।

पलवल, नूंह, गुरुग्राम व फरीदाबाद के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि झुग्गी झोपड़ियों और कम आय वाले क्षेत्रों में अपंजीकृत बच्चों की पहचान कर उनका पंजीकरण जल्द से जल्द किया जाए।

बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव ने सभी सीएमओ को गर्भावस्था के 24 सप्ताह तक किए गए गर्भपात की रिवर्स ट्रैकिंग शुरू करने के निर्देश दिए। इसका मकसद ऐसी प्रक्रियाओं में शामिल चिकित्सकों की पहचान कर उल्लंघन के मामले में सख्त कार्रवाई करना है।