ठेकेदारों की परेशानियों से तंग आकर लोगों ने PM मोदी को अपने खून से लिखा पत्र

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मध्य प्रदेश में संविदा आउटसोर्स स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष कोमल सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खून से लेटर लिखा है. इस लेटर में उन्होंने आउटसोर्स कर्मचारीयो के साथ हो रहे शोषण, वेतन में देरी और ठेकेदारों की मनमानी का जिक्र किया है.

कोमल सिंह का कहना है. स्वास्थ्य विभाग में आउटसोर्स कर्मचारी वही कार्य करते हैं जो स्थाई कर्मचारी करते हैं, लेकिन उन्हें मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा जाता है. खून से लिखी चिट्ठी में कोमल ने प्रधानमंत्री मोदी से हस्तक्षेप कर मामले में दखल देने की अपील की है, ताकि मध्य प्रदेश शासन को निर्देशित किया जा सके कि वो आउटसोर्स कर्मचारी के लिए ठोस नीति बनाएं.

उन्होंने कहा- मध्य प्रदेश में आउटसोर्स कर्मचारी, ठेकेदारी प्रथा के कारण लंबे समय से शोषण का शिकार हो रहे है. इसके लिए कोई विशेष नीति नहीं है. उत्तर प्रदेश में हाल ही में आउटसोर्स सेवा निगम का गठन किया है. इसमें न्यूनतम वेतन 20 हजार रुपाए तय किया है, साथ ही अन्य सुविधाएं भी दी जाएगी. देश के कुछ और राज्यों में इस तरह की व्यवस्था है. अगर उप्र की तरह यहां भी आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नीति बने तो कर्मचारियों को राहत मिल सकती है. आउटसोर्स कर्मचारी लगातार इसे लेकर मांग भी कर रहे है. सरकार के तकरीबन हर विभाग में आउटसोर्स कर्मचारी है. प्रदेश में इन कर्मचारियों की संख्या 2 लाख से अधिक है. इसमें 50 हजार ऐसे कर्मचारी है, जिन्हें कुछ समय के लिए काम और जरूरत के हिसाब से रखा जाता है.

ठोस नीति तैयार करने की मांग

कोमल सिंह बोले- विभिन्न विभागों में प्राइवेट एजेंसी के जरिए कर्मचारियों को रखा जाता है. ऐसे में न तो सरकारी सुविधा मिल रही है और न ही पीएफ, ग्रेज्यूटी, स्वास्थ्य बीमा सहित अन्य योजनाओं का लाभ मिल रहा है, संघ के प्रदेश अध्यक्ष कोमल सिंह ने बताया कि कई स्थानों पर तो 5 से 6 माह तक वेतन नहीं मिला है. हमारी मांग है कि आउटसोर्स कर्मचारियोंके लिए ठोस नीति तैयार की जाए.