रोहतक: चाचा! मुझ पर तो कोई आंच नहीं आएगी। एडीजीपी पूरण कुमार के गनमैन हेड कांस्टेबल सुशील को गिरफ्तार करने वाली टीम में मैं शामिल रहा हूं। आत्महत्या करने से दो दिन पहले एएसआई संदीप लाठर ने अपने चाचा जोगेंद्र अत्री से अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई थी। इसके अलावा कोई बात नहीं की।
जोगेंद्र ने फोन पर बताया कि संदीप के पिता दयानंद मेरे बचपन के दोस्त रहे हैं। 20 साल पहले दयानंद का देहांत हो गया था। पांच साल पहले संदीप का परिवार सहित रोहतक आ गया। घटना से दो दिन पहले वह जुलाना आए थे। वह मुझे पिता की तरह मानते थे, इसलिए हर बात साझा करते थे। वह किसी तरह के तनाव में नहीं लग रहे थे। केवल संदीप ने कहा, चाचा मैं सुशील को गिरफ्तार करने वाली टीम में शामिल रहा हूं। जोगेंद्र ने बताया कि इस बारे में उनके सवाल पर कहा था कि तुमने अपनी तरफ से कुछ नहीं किया है। केस उस पर दर्ज है।
इसमें तुम्हारा क्या लेना-देना। तुमने अपना काम किया है। डरने की क्या जरूरत है। इसके बाद उनसे बात नहीं हुई। बाद में उनकी मौत की सूचना मिली। रोहतक पुलिस के पूर्व इंस्पेक्टर ने बताया कि संदीप अच्छे स्वभाव के साथी थे। हर समय काम के लिए तैयार रहते। सभी से मिलकर रहते थे। उनको विश्वास नहीं हो पा रहा है कि वह यूं चले जाएंगे। वहीं, साथ पढ़ने वाले एक युवक ने कहा कि संदीप शुरू से ही राष्ट्रवादी विचारों का रहा है। वह यूं चले जाएंग, यकीन नहीं कर पा रहे। सांत्वना देने आए एक समाजसेवी ने कहा कि संदीप उनके पास आते रहते थे।
चाचा जोगेंद्र अत्री ने कहा कि संदीप ने जो कदम उठाया, उसे मैं बिल्कुल सही नहीं मानता। उनकी चार बुआ, पांच बहनें व दो बेटी हैं और एक बेटा हैं। मां को भी इस उम्र में संभालना था। मैं उनके इस कदम से बेहद आहत हूं।

















