हेपेटाइटिस बी पर रोहतक PGI में यूनिक रिसर्च, मां के गर्भ में पलने वाले बच्चे में रोका जा सकता है संक्रमण

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रोहतक : हेपेटाइटिस बी को लेकर रोहतक पीजीआई में विश्व की पहली रिसर्च में साबित हो गया है कि मां से गर्भ में पलने वाले बच्चे में काला पीलिया के संक्रमण को रोका जा सकता है. साथ ही रिसर्च में पाया गया कि हेपेटाइटिस बी यौन संबंधों के जरिए, नशे के इंजेक्शन, गलत नीडल लगाने से भी फैलता है. इसके अलावा 50% बच्चों में मां के जरिए भी काला पीलिया फैला है. रोहतक पीजीआई में 3000 मरीज और 500 गर्भवती महिलाओं पर विश्व की ये अनोखी पहली रिसर्च हुई है. काला पीलिया एक जानलेवा बीमारी है जिसका समय पर इलाज ना होने के चलते मरीज की मौत भी हो सकती है.

रोहतक पीजीआई में रिसर्च : रोहतक पीजीआई मेडिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. प्रवीण मल्होत्रा ने बताया कि ये जानलेवा बीमारी पहले से हेपेटाइटिस बी से इंफेक्टेड शख्स से यौन संबंध बनाने, नशे के इंजेक्शन, टैटू बनाने वाले नीडल और 50 प्रतिशत बच्चों में मां के संक्रमित होने पर भी फैलता है. रोहतक पीजीआई में विश्व की पहली ये रिसर्च हुई है जिसमें 3000 मरीजों और 500 गर्भवती महिलाओं पर रिसर्च की गई है.

गर्भवती महिलाओं में संक्रमण रोका जा सकता है : डॉ. प्रवीण मल्होत्रा ने बताया कि रिसर्च में ये बात साबित हुई है कि गर्भवती महिलाओं के संक्रमित होने पर बच्चों में फैलने वाले पीलिया को समय पर इलाज के चलते रोका जा सकता है. यही नहीं 50% तक काला पीलिया मां के द्वारा ही बच्चों में फैलता है. पिछले 12 सालों से काला पीलिया को लेकर रोहतक पीजीआई में रिसर्च चली हुई है. 13% परिवारों में काला पीलिया के लक्षण मिलते हैं. यदि किसी परिवार में काला पीलिया के लक्षण मिले तो पूरे परिवार को जांच करने की आवश्यकता होती है. अज्ञानता के चलते बीमारी से जूझ रहे लोग मौत के शिकार हो सकते हैं इसलिए पीजीआई द्वारा समय-समय पर जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है.

हेपेटाइटिस बी के लक्षण : उन्होंने आगे बताया कि 75% तक मरीजों में काला पीलिया के लक्षण मिलते ही नहीं है, लेकिन पहले जांच हो जाए तो बीमारी पकड़ में आ सकती है. उन्होंने कहा कि इसके लक्षण भी काफी गंभीर है जिनमें खून की उल्टी और दस्त लगना, भूख का कम लगना, पेट दर्द, थकान शामिल है. ज्यादा गंभीर मामलों में त्वचा और आंखें पीली पड़ने लगती हैं.

क्या होता है हेपेटाइटिस बी ? : हेपेटाइटिस बी लिवर का संक्रमण होता है जो हेपेटाइटिस बी वायरस (HBV) के कारण होता है. वक्त रहते इलाज ना कराने पर ये बीमारी जानलेवा भी साबित हो सकती है. इस संक्रमण के चलते लीवर में सूजन आ जाती है. लिवर में सूजन अगर लंबे अरसे तक बनी रही तो लिवर सिरोसिस, लिवर फेल या कैंसर हो सकता है.

कैसे हो सकता है बचाव ? : हेपेटाइटिस बी का टीका लगवाकर इससे बचाव किया जा सकता है. साथ ही यौन संपर्क के दौरान कंडोम का इस्तेमाल जरूर करें. दूसरे के इस्तेमाल किए गए ब्लेड, सुई का इस्तेमाल ना करें. अच्छी हाइजीन मेंटेन रखें. संक्रमित खाने और पानी से भी ये फैल सकता है. इसलिए टॉयलेट का इस्तेमाल करने के बाद, खाना खाने से पहले अच्छी तरह से हाथ धो लें.