उत्तर प्रदेश के वाराणसी के दालमंडी में ध्वस्तीकरण की बड़ी कार्रवाई की गई. एक भवन और 13 दुकानों को एक साथ ध्वस्त किया गया. इस दौरान पुलिस और लोगों के बीच नोकझोंक भी हुई. शाम छह बजे भारी पुलिस फोर्स की मौजूदगी में पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के निर्देश पर दालमंडी के गोविंदपुरा में हैमर और ड्रिल मशीन से भवन संख्या 43/140 पर ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया शुरू की गई.
सामान हटाने की भी नहीं दी गई मोहलत
मोहम्मद शोएब की मोबाइल एसेसरी की दुकान से ये कार्रवाई शुरू हुई. मोहम्मद शोएब ने टीवी 9 डिजिटल को बताया कि मकान मालिक ने उनसे इस दुकान के लिए 35 लाख लिए हैं. अब प्रशासन और मकान मालिक के बीच क्या तय हुआ है. मुझे मालूम नहीं है. मैंने प्रशासन से सामान हटाने के लिए कुछ घंटों की मोहलत मांगी थी. वो भी नहीं मिली, अब हम क्या करें, कहां जाएं?
कार्रवाई को प्रशासन की गुंडई बताया
1958 से एके वॉच नाम से दुकान चलाने वाले हुसैन अली ने इस कार्रवाई को प्रशासन की गुंडई बताया. हुसैन अली ने कहा कि ‘ये वर्ग विशेष के खिलाफ प्रशासन की खुली गुंडई है. प्रशासन ने न तो मोहलत दी और न ही हमारे वकील को नोटिस रिसीव हुआ. हम सब मजबूर हैं और समझ में नहीं आ रहा कि अब क्या करें. कार्रवाई शुरू होते ही एक बुजुर्ग महिला जोर-जोर से रोने लगी. उसको स्थानीय लोगों ने समझा बुझाकर वहां से हटाया.
मकान मालिक और प्रशासन की मिलीभगत
कार्रवाई से डरे और घबराए हुए दूसरे दुकानदारों ने कहा कि प्रशासन और मकान मालिक के बीच किरायेदार पिस रहे हैं. मकान मालिक ने दुकानों के लिए लाखों रुपये लिए हुए हैं. अब मकान मालिक और प्रशासन की मिलीभगत में किरायेदार मारे जा रहे हैं. किरायेदारों को कुछ नहीं मिल रहा है. दालमंडी में 29 अक्टूबर से ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू हुई, लेकिन उसके बाद कार्रवाई में गैप रखा गया. 8 नवंबर को चौरसिया पान भंडार के बाद 9 नवंबर को लक्ष्मी कटरा पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू हुई.

















