कुरुक्षेत्र: सनातन धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है. इस दिन विधिवत रूप से सनातन धर्म के लोग पूर्णिमा का व्रत करते हैं. इस समय हिंदू वर्ष का अश्विन महीना चल रहा है और आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. शास्त्रों में इस पूर्णिमा के बारे में बताया गया है कि शरद पूर्णिमा की रात आसमान से अमृत की वर्षा होती है. इसलिए पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की रोशनी में खीर बनाकर रखी जाती है. जिसको खाने से कई प्रकार के रोग दूर होते हैं और स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छी होती है. तो आईए जानते हैं कि शरद पूर्णिमा कब है और इसका विधि-विधान क्या है.
कब है शरद पूर्णिमा: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि “इस समय अश्विन महीना चल रहा है. आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार शर्ट पूर्णिमा का आरंभ 6 अक्टूबर को सुबह 11:24 से हो रहा है. जबकि इसका समापन 7 अक्टूबर को सुबह 9:35 पर होगा. इसलिए यह पूर्णिमा 6 अक्टूबर के दिन मनाई जाएगी. इस पूर्णिमा की रात को चंद्रमा का विशेष महत्व होता है. इस दिन शरद पूर्णिमा के दौरान चंद्रोदय का समय शाम के 5:31 पर होगा”.
शरद पूर्णिमा का महत्व: पंडित ने बताया कि “शरद पूर्णिमा का सभी पूर्णिया से ज्यादा महत्व होता है. शास्त्रों में बताया गया है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं में पूर्ण होते हैं. उसकी पूरी रोशनी होती है, इसलिए रात के समय हर चीज चंद्रमा की तरह सफेद दिखाई देती है. ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की रोशनी से अमृत की बरसात होती है. इसलिए शरद पूर्णिमा की रात को खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखी जाती है”.
खुले आसमान के नीचे रखें खीर: पंडित ने बताया कि “खीर पर चंद्रमा की रोशनी पड़ती है और वह स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छी होती है. चंद्रमा की रोशनी अमृत तुल्य बताई गई है. जिसके चलते चंद्रमा की रोशनी से खीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. इस दिन माता लक्ष्मी की भी पूजा-अर्चना की जाती है. मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलने से घर में सुख समृद्धि आती है और धन की कमी दूर होती है. ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन माता लक्ष्मी धरती पर आती हैं. अपने भक्तों के घर में वास करती है. इस दिन मां लक्ष्मी का अवतरण हुआ था”.
मां लक्ष्मी और चांद की होती है पूजा: पंडित ने बताया कि “इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने का विशेष महत्व होता है. क्योंकि इस दिन माता लक्ष्मी धरती पर आई थी. तो वहीं उनके साथ चंद्रमा का भी पूजन किया जाता है. इस दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान करें. उसके उपरांत माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें और शाम को चंद्र उदय होने के साथ उनको जल अर्पित करें और सुख समृद्धि की कामना करें”.
शरद पूर्णिमा पर भद्रा का साया: पंडित ने बताया कि “इस बार शरद पूर्णिमा पर पंचक की शुरुआत हो रही है और इसके साथ इस दिन भद्रा का भी साया रहेगा. पंडित ने बताया कि 6 अक्टूबर को दोपहर 12:30 से भद्रा काल शुरू हो जाएगा और शाम के 10:53 तक रहेगा. यह शरद पूर्णिमा पंचक के दौरान आ रही है. पंचक 3 अक्टूबर से शुरू हो चुके हैं, जो 8 अक्टूबर को समाप्त होंगे”.

















