उन 18 हजार एफिडेविट पर क्या कार्यवाही हुई? सपा ने किया सवाल तो EC बोला- गलत साक्ष्य देना अपराध माना जाता है

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वोट के मुद्दे को लेकर समाजवादी पार्टी और चुनाव आयोग में ठनी हुई है. सपा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में 2022 के विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाया. इस पर अब चुनाव आयोग ने जवाब दिया है. आयोग ने कहा, 18 हजार शपथ पत्रों के साथ की गई शिकायत का जो उल्लेख बार-बार किया जा रहा है उसके संबंध में यह स्पष्ट किया जाता है कि एक भी मतदाता का शपथ पत्र मूलरूप में प्राप्त नहीं हुआ है.

आयोग ने आगे कहा, ईमेल से समाजवादी पार्टी द्वारा जो शिकायत की गई है, उसमें लगभग 3919 अलग-अलग नाम के व्यक्तियों के शपथ पत्रों की स्कैंड कॉपी जरूर मिली हैं. शिकायत 33 जिलों के 74 विधानसभा क्षेत्रों से संबंधित है. 5 विधानसभा क्षेत्रों से संबंधित शिकायत की जांच पूरी हो चुकी है और X के माध्यम से आम जनता के समक्ष जांच के निष्कर्ष को पेश भी किया जा चुका है.

गलत साक्ष्य देना अपराध माना जाता है

चुनाव आयोग ने कहा, अभी तक जिन पांच विधानसभा क्षेत्रों की जांच पूरी हुई है, उनमें यह पाया गया है के ऐसे व्यक्तियों के नाम से माह नवंबर 2022 में शपथ पत्र बने हैं जिनकी मौत साल 2022 से कई साल पहले हो चुकी थी. कतिपय व्यक्तियों ने अपने नाम से बने शपथ पत्र की स्कैंड कॉपी को दिखाने पर ऐसा कोई भी शपथ पत्र देने से स्पष्ट इनकार कर दिया है. उल्लेखनीय है कि कानूनन गलत साक्ष्य दिया जाना एक अपराध माना जाता है.

क्या कार्यवाही हुई उन शिकायतों पर?

इससे पहले समाजवादी पार्टी ने एक पोस्ट में आरोप लगाया था, 2022 का पूरा विधानसभा चुनाव, सभी उपचुनाव भाजपा सत्ता की मिलीभगत, इशारे पर लूटे गए और धृतराष्ट्र की भांति चुनाव आयोग भाजपाई बेइमानी के मूक समर्थन में बेइमानियों में संलिप्त रहा. क्या कार्यवाही हुई उन 18 हजार से अधिक एफिडेविट और जनता द्वारा बयां की गई शिकायतों पर? उल्टा शिकायतकर्ताओं को धमकाने की सूचनाएं भी मिलीं जो कि बेहद शर्मनाक हैं.

समाजवादी पार्टी की ओर से इसी पोस्ट में आगे कहा गया कि जनता का भरोसा चुनाव आयोग से पूरी तरह से उठ चुका है. जनता ने मान लिया है कि चुनाव आयोग भाजपा पार्टी का ही एक अंग है और चुनावी भाजपाई बेइमानियों का हिस्सा है.