बसें नहीं चलीं तो बेबस यात्रियों ने निजी वाहनों का सहारा लिया

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बेहतर परिवहन सेवाएं उपलब्ध कराने के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। जिले में बवानीखेड़ा ऐसी तहसील है जहां पहुंचने के लिए नियमित बस सुविधा उपलब्ध नहीं है। गांव सुमराखेड़ा, जमालपुर, पपोसा, सिप्पर, बोहल, रतेरा, रोहनात के लोग तहसील कार्यालय आने के लिए घंटों इंतजार करते हैं या किसी निजी वाहन का सहारा लेते हैं।
सुमराखेड़ा, तालु, जताई, धनाना, बड़ेसरा, सुखपुरा, जमालपुर के लिए रोडवेज बस का केवल सुबह एक ही फेरा लगाया जाता है जबकि भुरटाना, अलखपुरा, खेड़ी, बड़सी, दुर्जनपुर जैसे गांवों से बवानीखेड़ा के लिए कोई बस सेवा नहीं है। तहसील में स्थित खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी कार्यालय के कारण पंचायत प्रतिनिधियों को अपने गांवों में विकास कार्यों के लिए रोजाना निजी वाहनों से आना पड़ता है।

छात्राओं को होती है ज्यादा परेशानी

कस्बे के राजकीय महिला महाविद्यालय में दूर-दराज के गांवों से छात्राएं पढ़ाई के लिए आती हैं। बस सुविधा न होने के कारण उन्हें रोजाना लंबा और मुश्किल सफर करना पड़ता है। सर्दी के मौसम में परेशानी बढ़ जाती है। भिवानी तहसील का गांव सुखपुरा और बड़ेसरा का थाना बवानीखेड़ा में होने के कारण ग्रामीणों को पहले भिवानी तक जाना पड़ता है और फिर 20 किलोमीटर की दूरी तय कर बवानी खेड़ा पहुंचना पड़ता है।

बस छूट जाए तो घंटों करना पड़ता है इंतजार

भिवानी से सुई बलियाली तक केवल एक ही बस पूरे दिन एक फेरा लगाती है। इसी तरह बवानीखेड़ा से पूर, सिवाड़ा, कुंगड़, भैणी, सोरखी तक भी एक ही बस चलती है। यदि यह बस छूट जाए तो यात्रियों को दूसरी बस के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है।

क्षेत्र के सभी ग्रामीण रूटों पर रोडवेज की बस सेवा है लेकिन कई गांव और सरकारी कार्यालय मुख्य सड़क से दूर होने के कारण और बसों की कमी के चलते यह समस्या बनी हुई है।