कौन बनेगा हरियाणा में BJP का नया प्रदेश अध्यक्ष! जल्द आ सकता है चौंकाने वाला फैसला

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अम्बाला : सियासी हलकों में अब भाजपा चौंकाने वाले फैसलों के लिए पहचानी जाने लगी है। करीब डेढ़ साल पहले पार्टी के सर्वोच्च नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कुछ राज्यों में नए चेहरों को मुख्यमंत्री बनाकर सबको हैरान कर दिया था। हरियाणा में पार्टी के अध्यक्ष का फैसला भी उनकी सोच के मुताबिक ही होता है। प्रदेश भाजपा की निगाहें दिल्ली पर लगी हुई हैं जहां से फरमान जारी होगा।

भाजपा में कई बार पार्टी के जाने पहचाने चेहरे पर्दे के पीछे चले जाते हैं और नए चेहरों की जय जयकार होने लगती है। हरियाणा को लेकर भी भाजपा आलाकमान ने कुछ ऐसे फैसले लिए जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। इनमें मनोहर लाल खट्टर को अचानक हटाकर नायब सैनी को मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपना शामिल है। हरियाणा भाजपा के नए अध्यक्ष को लेकर भाजपा क्षेत्रों में इन दिनों कई तरह की अटकलें व चर्चाएं चल रही हैं। यदि उन्हें सही मान लिया जाए तो मोहन लाल बड़ौली का दूसरी बार प्रदेश अध्यक्ष बनना तय लगता है। हरियाणा भाजपा में अंदर खाते भले ही कुछ नेता जुगाड़बाजी में लगे हों लेकिन आखिरी फैसला दिल्ली से आना है।

2024 के चुनाव में भाजपा को ब्राह्मण मतदाताओं के करीब 51 फीसदी वोट मिले। चुनाव मुख्यमंत्री नामय सैनी व मोहल लाल बड़ौली की अगुवाई में लड़ा गया। सैनी को दोबारा से मुख्यमंत्री बनाया गया। इस लिहाज से बड़ौली का भी दूसरी बार अध्यक्ष बनना बनता है। वैसे भाजपा के साथ ब्राह्मण वोट बैंक को जोड़ने में बड़ौली के अलावा निर्दलीय राज्यसभा सदस्य कार्तिकेय शर्मा व वरिष्ठ ब्राह्मण नेता विनोद शर्मा ने भी पसीना बहाया। कालका से विनोद शर्मा की पत्नी शक्ति रानी शर्मा भाजपा टिकट पर विधायक बनी हैं। प्रदेश में ब्राह्मणों की तादाद करीब 12 फीसदी है।

बड़ौली के अध्यक्ष बनने से ब्राह्मणों का झुकाव भाजपा की तरफ बढ़ा है। वैसे भी टिकट आबंटन में भाजपा ने ब्राह्मणों को ज्यादा भाव दिए थे। उसने ब्राह्मणों को 9 टिकट दिए थे जबकि कांग्रेस ने कुल 51 सूबे की सियासत में सत्ता हासिल करने के लिए ब्राह्मण, वैश्य, दलित, पंजाबी व ओ.बी.सी. का साथ जरूरी है। शायद यही वजह है कि बड़ौली के अलावा किसी जाट, पंजाबी व ओ.बी.सी. नेता के नाम पर भी मंथन जारी है। हो सकता है पार्टी संगठन के काम में माहिर किसी नए चेहरे पर दाव खेले। बड़ौली पर सोलन में एक महिला द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोप लगने के बाद कहा जाने लगा था कि बड़ौली को दूसरी बार संगठन की बड़ी जिम्मेदारी सौंपने में पार्टी पुनर्विचार कर सकती है लेकिन अब पुलिस की क्लीन चिट मिलने के बाद उनके रास्ते में कोई बड़ी रुकावट नहीं रही। चुनावों में प्रदेश भाजपा के संगठन की कमान बड़ौली के हाथों में थी लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भरने व संगठन में जान फूंकने में मनोहर लाल व नायब सैनी की भी बड़ी भूमिका रही। सैनी के आत्मविश्वास ने प्रदेश में पार्टी की हवा बनाई और सत्ता की हैट्रिक का रिकार्ड बनाकर उन्होंने एक करिश्मा करके दिखाया।

संघ की राय भी होगी अहम

माना जा रहा है कि बड़ौली को दूसरी बार अध्यक्ष की कुर्सी दिए जाने फैसले में संघ की राय भी काफी मायने रखेगी। अभी हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में संघ ने भाजपा की जीत में काफी जोर लगाया था। बड़ौली संघ से जुड़े रहे हैं और अभी राई से विधायक हैं। पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में वह सोनीपत से हार गए थे। वैसे भी वह मुख्यमंत्री नायब सैनी विश्वासपात्रों में शामिल हैं और लो प्रोफाइल होने की वजह से पार्टी कार्यकर्ताओं में लोकप्रिय भी हैं। हरियाणा बनने के बाद सबसे पहले कमला वर्मा को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उनके बाद सूरजभान, डा. मंगलसेन, रामबिलास शर्मा, रमेश जोशी, ओम प्रकाश ग्रोवर, रत्नलाल कटारिया, गणेशी लाल, आत्म प्रकाश मनचंदा, कृष्ण पाल गुर्जर, सुभाष बराला, ओम प्रकाश धनखड़, नायब सैनी व मोहन लाल बड़ौली ने यह पद संभाला। रामबिलास 2 बार पार्टी के अध्यक्ष रहे। सबसे लम्बे समय तक करीब साढ़े 5 साल तक सुभाष बराला इस कुर्सी पर रहे। अगले कुछ दिनों में साफ हो जाएगा कि पार्टी 15वीं बार किसके सिर पर यह ताज रखती है।