चंडीगढ़: जिन गर्भवती महिलाओं की पहले से ही एक या उससे ज्यादा बेटियां हैं, उन पर नजर रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी तय की थी। इसके बावजूद 13 जिलों की 282 गर्भवती महिलाओं ने गर्भपात करा दिया है। ऐसे में अब इसके लिए जिम्मेदार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से जवाब मांगा गया है। साथ ही यह भी पता लगाया जा रहा है कि क्या ये गर्भपात लिंग के आधार किए गए हैं या फिर अन्य कारण थे, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से स्पष्टीकरण आने के बाद स्वास्थ्य विभाग अगली कार्रवाई कर सकता है।
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक पिछले कुछ महीने में करीब ढाई हजार गर्भपात हुए हैं। इनमें गर्भनिरोधक की विफलता, जच्चा का स्वास्थ्य खराब होना समेत अन्य कारण शामिल हैं। इनमें 282 ऐसे मामले थे, जिनकी निगरानी के लिए विशेष तौर पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को नियुक्त किया गया था।
स्वास्थ्य विभाग के पास जिन 13 जिलों की रिपोर्ट पहुंची हैं, उनमें जींद में 57, भिवानी में 9, फरीदाबाद में 14, फतेहाबाद में 7, गुरुग्राम में 9, पंचकूला में 6, हिसार में 43, झज्जर में 12, करनाल में 57, पानीपत में 10, रेवाड़ी में दस, सिरसा में 20 और यमुनानगर में 28 गर्भपात शामिल हैं। स्वास्थ्य विभाग के एसीएस सुधीर राजपाल के निर्देश पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से स्पष्टीकरण मांगा गया है। वहीं, सिविल सर्जन को गर्भपात के कारण जानने के निर्देश दिए गए हैं।
जनवरी से मई तक जन्म के समय लिंगानुपात (एसआरबी) में गुरुग्राम का सबसे खराब प्रदर्शन रहा है। गुरुग्राम में लिंगानुपात 855 दर्ज किया गया है। वहीं, पंचकूला ने सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है। पंचकूला का लिंगानुपात 975 रिकॉर्ड किया गया है। पंचकूला में इस समयावधि के दौरान 2,298 लड़कों के मुकाबले 2,240 लड़कियों का जन्म हुआ। फतेहाबाद में 970, यमुनानगर में 940, कुरुक्षेत्र में 933, नूंह में 932, फरीदाबाद 898, पलवल 874, रोहतक 883, चरखी दादरी 859, कैथल में 870, सोनीपत 899, अंबाला में 900, भिवानी में 914, हिसार में 913, पानीपत में 911, महेंद्रगढ़ में 902, रेवाड़ी में 903 दर्ज किया गया था। पिछले दिनों एससीएस सुधीर राजपाल ने उन इलाकों में विशेष निगरानी के निर्देश दिए थे, जिसमें लिंगानुपात कम दर्ज किया जा रहा है।